Tuesday, June 29, 2010

यक्ष-प्रश्न


बन्द आँखों से पढनी होगी तुम्हें
नए युग की गीता ,
बिना हाथों के तोडना होगा तुम्हें
गान्डीवों  का गर्व
मेरे दोस्त,
बीमार , वृद्ध या मृतक देखकर
नहीं हो जाता हर कोई बुद्ध.
दीवार पर लिखी इबारत
चीखकर  कहती है--
सीखो
अपने होने पर सवाल उठाना ,
तुम्हें मिल जाएगा जवाब
यक्ष-प्रश्नों का
युधिष्ठिर  हुए बिना.   

4 comments:

  1. bahut khoob... shaayd aaj ki pristhiti par likhaa hai aapne

    ReplyDelete
  2. पूरा जीवन दर्सन रख दिए हैं आप कुछ पंक्तियों में...

    ReplyDelete