Tuesday, June 29, 2010
यक्ष-प्रश्न
बन्द आँखों से पढनी होगी तुम्हें
नए युग की गीता ,
बिना हाथों के तोडना होगा तुम्हें
गान्डीवों का गर्व
मेरे दोस्त,
बीमार , वृद्ध या मृतक देखकर
नहीं हो जाता हर कोई बुद्ध.
दीवार पर लिखी इबारत
चीखकर कहती है--
सीखो
अपने होने पर सवाल उठाना ,
तुम्हें मिल जाएगा जवाब
यक्ष-प्रश्नों का
युधिष्ठिर हुए बिना.
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achchi rachna.
ReplyDeletebahut khoob... shaayd aaj ki pristhiti par likhaa hai aapne
ReplyDeleteपूरा जीवन दर्सन रख दिए हैं आप कुछ पंक्तियों में...
ReplyDeleteअप्प दीपो भव ।
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