Friday, July 15, 2011

जीवधारी रुपए

गाड़े हुए रुपए जीवधारी हो जाते हैं
एक लंबे समय के बाद
एक लंबे समय पहले सुनी थी यह बात
दादी से किसी कहानी के दरम्यान

लंबे समय पहले की बातें
सच ही हो जाती हैं
लंबे समय के बाद

अब नहीं गाड़ता है कोई भी
रुपए दीवार या ज़मीन में
यह तमाम जीवधारी रुपए
डोलते फिरते हैं जो
राजपथ-जनपथ-संसद के गलियारों में
पुराने दिनों के गाड़े हुए हैं

कहानियाँ दादी की थीं
दादी कहानियों में चली गईं
लंबा समय अब लंबा नहीं रहा
जीवधारी रुपए अब लौटाने ही होंगे
अपने गड्ढों में लंबे समय के बाद
संभलने लगी हैं कुदालें
कसमसाने लगे हैं उनके बेंट
और ज़मीनें तैयार होने लगी हैं ।

3 comments:

  1. सच कहा ..कम से कम आश्वस्त तो किया आपने -
    जमीनें तैयार होने लगी हैं !

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