गाड़े हुए रुपए जीवधारी हो जाते हैं
एक लंबे समय के बाद
एक लंबे समय पहले सुनी थी यह बात
दादी से किसी कहानी के दरम्यान
लंबे समय पहले की बातें
सच ही हो जाती हैं
लंबे समय के बाद
अब नहीं गाड़ता है कोई भी
रुपए दीवार या ज़मीन में
यह तमाम जीवधारी रुपए
डोलते फिरते हैं जो
राजपथ-जनपथ-संसद के गलियारों में
पुराने दिनों के गाड़े हुए हैं
कहानियाँ दादी की थीं
दादी कहानियों में चली गईं
लंबा समय अब लंबा नहीं रहा
जीवधारी रुपए अब लौटाने ही होंगे
अपने गड्ढों में लंबे समय के बाद
संभलने लगी हैं कुदालें
कसमसाने लगे हैं उनके बेंट
और ज़मीनें तैयार होने लगी हैं ।
Friday, July 15, 2011
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sach hai bahut sach
ReplyDeleteसच कहा ..कम से कम आश्वस्त तो किया आपने -
ReplyDeleteजमीनें तैयार होने लगी हैं !
आमीन!!
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