तुम न देखो मुझे यूँ अचीन्हे नयन
मैं स्वयं के लिए शाप हो जाऊँगा
मैं तुम्हारे लिए पुण्य करता रहा
आज टूटा अगर, पाप हो जाऊँगा
नाम जिसको कभी कोई दे न सका
नेह से भी बड़ा एक नाता रहा
बंध तोड़े सभी मैंने अनुबंध के
और प्रतारण नमित-शीश पाता रहा
मौन मन की न खोलीं अगर गुत्थियाँ
पीर के मन्त्र का जाप हो जाऊँगा
अब भी बाकी बहुत कुछ रहा अविजित
मेरे जीवन के दुर्धर्ष संघर्ष में
देह के दायरे टूट पाए नहीं
सारे उत्कर्ष में सारे अपकर्ष में
तुमसे कहकर हृदय की समूची व्यथा
आज मैं रिक्त-संताप हो जाऊँगा.
मैं स्वयं के लिए शाप हो जाऊँगा
मैं तुम्हारे लिए पुण्य करता रहा
आज टूटा अगर, पाप हो जाऊँगा
नाम जिसको कभी कोई दे न सका
नेह से भी बड़ा एक नाता रहा
बंध तोड़े सभी मैंने अनुबंध के
और प्रतारण नमित-शीश पाता रहा
मौन मन की न खोलीं अगर गुत्थियाँ
पीर के मन्त्र का जाप हो जाऊँगा
अब भी बाकी बहुत कुछ रहा अविजित
मेरे जीवन के दुर्धर्ष संघर्ष में
देह के दायरे टूट पाए नहीं
सारे उत्कर्ष में सारे अपकर्ष में
तुमसे कहकर हृदय की समूची व्यथा
आज मैं रिक्त-संताप हो जाऊँगा.