Saturday, February 20, 2010

तनु के लिए

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सबको ढूंढना पड़ता है
स्वयं अपना रास्ता ,
बैसाखियाँ दूर तक साथ नहीं देतीं ;
दूर तक साथ नहीं देते
माता, पिता,भाई या बहन;
हर रिश्ता कुछ दूर चल ठिठक जाता है.
उन्मत्त घोड़ा  कैनवास पर आंकती
चांदनी धोई अंगुलियाँ
कप पकड़ते थरथराती हैं;
थरथराता है यह विश्वास कि
शरीर दूर तक साथ देता है.
दया, सहानुभूति,सांत्वना के जंगल में
एक उदास लड़की
कैनवास पर बिखेरती है रंग
और एक झील बन जाती है
बिलकुल उसकी आँखों- सी नीली.
एक घना कुंतली मेघ
झुक-झुक आता है झील पर.
लड़की हंसती है
और घोड़ा भाग जाता है
कैनवास के बाहर
आखिर Everyone has to find his own way.





3 comments:

  1. yathart aor kalpna ka ye bhawbheena sangam acha hai baut achcha!

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  2. @ उन्मत्त घोड़ा कैनवास पर आंकती
    चांदनी धोई अंगुलियाँ
    कप पकड़ते थरथराती हैं;
    थरथराता है यह विश्वास कि
    शरीर दूर तक साथ देता है.
    दया, सहानुभूति,सांत्वना के जंगल में
    एक उदास लड़की
    कैनवास पर बिखेरती है रंग
    और एक झील बन जाती है
    बिलकुल उसकी आँखों- सी नीली.
    एक घना कुंतली मेघ
    झुक-झुक आता है झील पर.
    लड़की हंसती है
    और घोड़ा भाग जाता है
    कैनवास के बाहर
    __________________

    बस इतना कहूँगा दोस्त !
    मुझसे दोस्ती करोगे ?

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  3. कुछ अब्स्त्रैक्ट सा !

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