Saturday, March 6, 2010

कनक चूड़ी

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ला दो ना पिया ला दो कनक चूड़ी
मुझे भी पिया ला दो कनक चूड़ी.
 सोना के कानों  में सोने का झुमका
रूपा के पांवों में पायलिया भारी
बन-ठन के फिरती हैं संग की सहेलियां
एक मैं ही चुप-चुप अकेली बिचारी , पिया ला दो  
ला दो ना पिया ला दो कनक चूड़ी.


पुरुवा के चलने पे झूमेंगे गेहूं
पछुवा में झूमेगी धानों की क्यारी
मन सबके झूमेंगे पानी के संग-संग
एक मैं ही गुम-शुम अकेली बिचारी, पिया ला दो
 ला दो ना पिया ला दो कनक चूड़ी.


सासू की खातिर तो गहने  बहुत हैं
ससुरा की खातिर ये दुनिया है सारी
ननदी की खातिर हैं बनिया-बजाजे
पर मेरी खातिर ना कोई उधारी , पिया ला दो
ला दो ना पिया ला दो कनक चूड़ी.

मर-मर के खटता हूँ किसके लिए मैं
किसके लिए रात जगता हूँ सारी 
परदेशी जिनगी तो जिनगी नहीं है  पर 
एक तेरी खातिर ही सहता हूँ प्यारी, तुझे लाऊं 
लाऊं मैं तुझे लाऊं कनक चूड़ी 
गोरी मैं तुझे लाऊं कनक चूड़ी. 
















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