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तुम्हें कहकर विदा उस दिन हमारी भर गयी ऑंखें
कहीं भीतर कोई झरना बहाकर झर गयीं ऑंखें
न चाहा था कि तुमको दर्द अपने दिल का दिखलाऊँ
मगर ये हो नहीं पाया खुलासा कर गयीं ऑंखें.
अज़ब सी बेकली है दिल को समझाया नहीं जाता
ज़ुबां पर गीत हैं ढेरों मगर गाया नहीं जाता
न जाने क्या तुम्हारे पास अपना छोड़ आया हूँ
गयीं तुम दूर नज़रों से मगर साया नहीं जाता.
बहुत मजबूर था ये मन नयन के नीर के आगे
कसक, उलझन,परेशानी,हृदय की पीर के आगे
न कोई राह बन पायी जब इनसे पार जाने की
तुम्हारा नाम मैं जपता रहा तस्वीर के आगे.
कभी इकरार करती हो कभी मगरूर होती हो
कभी अपने हृदय के सामने मजबूर होती हो
बहुत बेचैन करता है तुम्हारे प्यार का ये ढंग
हमारे पास रहती हो हमीं से दूर होती हो.
तुम्हें कहकर विदा उस दिन हमारी भर गयी ऑंखें
कहीं भीतर कोई झरना बहाकर झर गयीं ऑंखें
न चाहा था कि तुमको दर्द अपने दिल का दिखलाऊँ
मगर ये हो नहीं पाया खुलासा कर गयीं ऑंखें.
अज़ब सी बेकली है दिल को समझाया नहीं जाता
ज़ुबां पर गीत हैं ढेरों मगर गाया नहीं जाता
न जाने क्या तुम्हारे पास अपना छोड़ आया हूँ
गयीं तुम दूर नज़रों से मगर साया नहीं जाता.
बहुत मजबूर था ये मन नयन के नीर के आगे
कसक, उलझन,परेशानी,हृदय की पीर के आगे
न कोई राह बन पायी जब इनसे पार जाने की
तुम्हारा नाम मैं जपता रहा तस्वीर के आगे.
कभी इकरार करती हो कभी मगरूर होती हो
कभी अपने हृदय के सामने मजबूर होती हो
बहुत बेचैन करता है तुम्हारे प्यार का ये ढंग
हमारे पास रहती हो हमीं से दूर होती हो.
ओफ्फ!
ReplyDeleteइतना टूट कर चाहना !!