Thursday, April 5, 2012

इंतज़ार का गीत

रात भर चांदनी बस तुम्हारे लिए
जुगनुओं की सजाती रही अल्पना
बिन बुलाए नयन नीर लेकर मेरे
द्वार आता रहा दर्द का पाहुना

     चूड़ियों से भरे हाथ सूने हुए
     रात आई ढली दर्द दूने हुए
     सारे पुरवा के झोंके उदासी भरे
     वेदना के रुपहले नमूने हुए

दीप-सा रात भर कोई जलता रहा
और सिसकती रही रात भर साधना

     पायलों को कसकती कहानी मिली
     पीर होंठों को कोई अजानी मिली
     गुनगुनाए महावर जिसे उम्र भर
     इंतज़ारों की कविता पुरानी मिली

गंध-सा रात भर कोई छलता रहा
और भटकती रही रात भर कामना ।