रात भर चांदनी बस तुम्हारे लिए
जुगनुओं की सजाती रही अल्पना
बिन बुलाए नयन नीर लेकर मेरे
द्वार आता रहा दर्द का पाहुना
चूड़ियों से भरे हाथ सूने हुए
रात आई ढली दर्द दूने हुए
सारे पुरवा के झोंके उदासी भरे
वेदना के रुपहले नमूने हुए
दीप-सा रात भर कोई जलता रहा
और सिसकती रही रात भर साधना
पायलों को कसकती कहानी मिली
पीर होंठों को कोई अजानी मिली
गुनगुनाए महावर जिसे उम्र भर
इंतज़ारों की कविता पुरानी मिली
गंध-सा रात भर कोई छलता रहा
और भटकती रही रात भर कामना ।
जुगनुओं की सजाती रही अल्पना
बिन बुलाए नयन नीर लेकर मेरे
द्वार आता रहा दर्द का पाहुना
चूड़ियों से भरे हाथ सूने हुए
रात आई ढली दर्द दूने हुए
सारे पुरवा के झोंके उदासी भरे
वेदना के रुपहले नमूने हुए
दीप-सा रात भर कोई जलता रहा
और सिसकती रही रात भर साधना
पायलों को कसकती कहानी मिली
पीर होंठों को कोई अजानी मिली
गुनगुनाए महावर जिसे उम्र भर
इंतज़ारों की कविता पुरानी मिली
गंध-सा रात भर कोई छलता रहा
और भटकती रही रात भर कामना ।