तवे से उतरती रोटियां
चली नहीं जाती हैं अपने-आप
वहां जहां कि होती है भूख
बहुत मायने रखता है
उन हाथों का हुनर
जो तय करते हैं
भूख से रोटी का रिश्ता
और अनुपात भी
रोटी केवल भूख के लिए नहीं होती
नहीं होती जैसे कि ज़मीन
केवल रहने के लिए
या कि नहीं होता पानी
केवल पानी भर बनकर
सबके लिए
ज़रूरतों से तय नहीं होते
संभावनाओं के समीकरण उलझे हुए
वे हमेशा देवता ही रहते हैं
जो छिपाकर रख लेते हैं आग
रोटियां औज़ार हैं
जिनसे खुलते हैं सत्ताओं के जटिल समीकरण
महत्वाकांक्षाओं की शतरंजी बिसात पर .
चली नहीं जाती हैं अपने-आप
वहां जहां कि होती है भूख
बहुत मायने रखता है
उन हाथों का हुनर
जो तय करते हैं
भूख से रोटी का रिश्ता
और अनुपात भी
रोटी केवल भूख के लिए नहीं होती
नहीं होती जैसे कि ज़मीन
केवल रहने के लिए
या कि नहीं होता पानी
केवल पानी भर बनकर
सबके लिए
ज़रूरतों से तय नहीं होते
संभावनाओं के समीकरण उलझे हुए
वे हमेशा देवता ही रहते हैं
जो छिपाकर रख लेते हैं आग
रोटियां औज़ार हैं
जिनसे खुलते हैं सत्ताओं के जटिल समीकरण
महत्वाकांक्षाओं की शतरंजी बिसात पर .