एन्तिला फकत एक इमारत का नाम नहीं
यह ज़मीन की आकाश छूने की ज़द्दोजहद भी नहीं
किसी अहंकार का निर्लज्ज वैभव-प्रदर्शन भी नहीं
यह नहीं है हवा की किसी ऊपरी परत में सांस लेने की कोशिश
या फिर धरती की गलीज़ बजबजाहट से दूर होने का ख्याल .
ऐसा मानना निहायत गलत होगा --
यह दलाल-पथ के हुनर का नमूना है
या हमारी जेब से रिसती दुअन्नी का नतीजा है
न यह काल के गाल पर पड़ा डिम्पल है
और न ही मजाक है दौलत के सहारे किसी मोहब्बत का
एन्तिला फकत एक इमारत का नाम नहीं
मेरे मित्र , यह 'धूमिल' के आधी सदी पुराने प्रश्न का ''कौन'' है
आपको क्या लगता है , मेरे देश की संसद यों ही मौन है !!
Monday, December 13, 2010
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रजनीकांत जी! धूमिल जी की बात अच्छी याद दिलाई!! शायद इसके बाद कुछ कहने को बाकी नहीं रह जाता..
ReplyDeleteमेरा आशीर्वाद लीजिए... आज कुछ भी नहीं रहा कहने को!!
इस एन्तिला का उदाहरण देकर ही सिद्ध किया जायेगा कि इंडिया ने कितना राईज़ किया है। जी.डी.पी., सेन्सेक्स, जीवन-स्तर आदि के उत्थान का प्रतीक है एन्तिला। let us give an applause to.... to whom?
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ReplyDeleteखुद से दूर रहने को इंसाँ ने हसीं आशियाने गढ़े
ReplyDeleteहो बू-ए-रंगोरोगन या लहू पसीना,नाक ऊँची रही।
ekdam saaf-saaf sab bata diya.bahot achcha kiya.
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