तुम्हीं बताओ आज तुम्हें मैं कैसा गीत सुनाऊं
अपने मन की बात कहूँ या जग की रीत सुनाऊं
कुछ ऐसा जो हँसी बिखेरे या आंसू बरसाए
कुछ यौवन की रंगरलियाँ या फिर बचपन के साए
बीते दिन जो लाया करतीं किरणों वाली परियां
या आगत का अनजाना पल जिसने स्वप्न दिखाए
सब कुछ हार गया मैं जिसमें ऐसी जीत सुनाऊं
गाऊं मैं हेमंत शिशिर या सावन की बरसातें
जेठ की जलती दोपहरी या भादों वाली रातें
क्या वसंत की मादकता या धरती की अंगड़ाई
या फिर गीतों में मैं ढालूं फागुन वाली बातें
गिनने को जो दिन दे जाए ऐसी प्रीत सुनाऊं
इस दुनिया से दूर की बातें या जग की सच्चाई
भीड़ में खोया जीवन या कि मुट्ठी भर तन्हाई
संबंधों के बंधन या फिर आवारा आज़ादी
या वो आँचल तुम्हें सुनाऊं जिसमें धरा समाई
मुझको गीत बनाया जिसने वो मनमीत सुनाऊं
तुम्हीं बताओ आज तुम्हें मैं कैसा गीत सुनाऊं
अपने मन की बात कहूँ या जग की रीत सुनाऊं
कुछ ऐसा जो हँसी बिखेरे या आंसू बरसाए
कुछ यौवन की रंगरलियाँ या फिर बचपन के साए
बीते दिन जो लाया करतीं किरणों वाली परियां
या आगत का अनजाना पल जिसने स्वप्न दिखाए
सब कुछ हार गया मैं जिसमें ऐसी जीत सुनाऊं
गाऊं मैं हेमंत शिशिर या सावन की बरसातें
जेठ की जलती दोपहरी या भादों वाली रातें
क्या वसंत की मादकता या धरती की अंगड़ाई
या फिर गीतों में मैं ढालूं फागुन वाली बातें
गिनने को जो दिन दे जाए ऐसी प्रीत सुनाऊं
इस दुनिया से दूर की बातें या जग की सच्चाई
भीड़ में खोया जीवन या कि मुट्ठी भर तन्हाई
संबंधों के बंधन या फिर आवारा आज़ादी
या वो आँचल तुम्हें सुनाऊं जिसमें धरा समाई
मुझको गीत बनाया जिसने वो मनमीत सुनाऊं
तुम्हीं बताओ आज तुम्हें मैं कैसा गीत सुनाऊं
वही वाला मनमीत सुना दीजिये ्जिसने आपको गीत बनाया !
ReplyDeleteबहुत ही प्यारा हदय से निकला गीत है ।
ReplyDeleteबहुत अच्छा !
ReplyDeleteबहुत सुंदर!
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