deehwara--डीहवारा
जिंदगी के पिछवाड़े पड़ी कुछ चीज़ें जिनके होने से अपने होने का एहसास जिंदा है
Saturday, January 9, 2010
जग बौराया
जग बौराया
आना जाना भरम
पेट की माया.
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rajani kant
कुछ खास नहीं. हर आम आदमी की तरह रोज़ी-रोटी की चिंता और मन के कहीं किसी अँधेरे कोने में बहुत कुछ न हो पाने की टीस .इस टीस से मुक्त होने की जद्दो-ज़हद कुछ लिखवाती-पढवाती रहती है.
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कुकुरमुत्ते
उग गए हैं ढेर सारे कुकुरमुत्ते घर के नाबदान पर छत्ते के छत्ते सोचता हूँ क्या करूँ इनका फ़ेंक दूँ उखाड़कर या फिर छोड़ दूँ यों ही हो जाने...
तुम्हारा लौटाता हूँ प्यार
चलो तुम भूल गए सर्वस्व मगर इतना तो होगा याद बढ़ाकर मैंने अपना हाथ सजाया था माथे पर चाँद झपकना पलकों का तुम भूल देखती रही थीं मेरी ओर ...
हमारे प्रेम का शहर
न उस शहर मे अब तुम रहती हो न उस शहर मे अब मै रहता हूँ पर हम दोनो ही के पास है अपने-अपने हिस्से का वह शहर जो कहीँ भी बस जाता है आपस मे ...
बरसाती दोहे
काले बादल आ गए , पानी का घट साथ जाने किसने क्या कहा, गीली हो गयी रात. डूबी क्यारी धान की, पानी बढ़ा अपार हंसिया बैठा सोचता , कैसे कटे कुआ...
पल्टुआ, भैंस और स्टीफन हाकिंग
पल्टुआ बतियाता ही रह गया खड़ा नीम की आड़ में गवने से लौटी दुक्खी काका की बेटी फुलमतिया से और भैंस चर गयी लोबिया चन...
... उम्मीद होती भी बेहया है !
गहगहाकर फूला है गुलमोहर भभक्क लाल बंद पड़ी फैक्ट्री के भीतर टूटकर लटकती एस्बेस्टस शीट्स की आड़ में खुशी पगार से इतर भी होती है अगर चि...
दंतचियार ग़ज़ल
पत्थर पर सिर मारे जा मन की खीझ उतारे जा चुनने तक ही हक था तेरा अब तो दांत चियारे जा अपनी-अपनी ढपली सबकी अपने राग उचारे जा अंधी पीस...
हुसैन के घोड़े
मैं समझना चाहता हूँ तुम्हारे होने का मतलब मैं उलझना चाहता हूँ हर उस चीज से जो तुम तक जाती है मैं पकड़ना चाहता हूँ तुम्हारे सोचने के तरी...
सखि ! तुमसे यह कैसा नाता !
सखि ! तुमसे यह कैसा नाता ! बादल बरसे धरती हरसे पत्ता-पत्ता जीवन सरसे तन मेरा भी भीगे लेकिन मन पपिहे-सा टेर लगाता सखि ! तुमसे यह कैसा ...
मैं तुम्हारी राह में हूँ
रख दिया था जो कभी गीत-सा तुमने अधर पर मैं उसी प्रतिदानपूरित स्नेह की फिर चाह में हूँ मैं तुम्हारी राह में हूँ मैं घरों में , मैं सड़क प...
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