Sunday, October 11, 2009

सामान और आदमी


आदमी सामान नहीं होता पर अपने हर  सामान में थोड़ा-बहुत आदमी ज़रूर होता है.
सामान समेट कर जाना किसी की ज़िन्दगी से जाना भी होता है. सामान केवल जगह ही नहीं घेरता मन भी घेरता है. वैशेषिक दर्शन कहता है-- अभाव  भी वस्तु है.
जाने के बाद का खालीपन स्थान और मन -- दोनों को महसूस होता है.

2 comments:

  1. 'आभाव' नहीं 'अभाव'।
    ठीक कीजिए।

    @ सामान समेट कर जाना किसी की ज़िन्दगी से जाना भी होता है. सामान केवल जगह ही नहीं घेरता मन भी घेरता है.

    इस गहरी बात पर सोचे जा रहा हूँ। बस सोचे जा रहा हूँ।

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  2. शुरू किया हूँ देखना , दिनं दिनं प्रति - शैली में टसकूँगा !

    बस गुलजार का गद्य-पद्य , जो भी कहिये , याद आ गया। ” मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है ,,,,,,,,,,” । सामान सब मिल न सकेंगे , एक अभाव का भाव बना ही रहेगा , एक मनस्‌ वस्तु-तत्व ! अनवरत !

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